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Indian Mujahideen Terrorist Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया, जिससे हाई-प्रोफाइल आतंकी मामलों में तेजी आने की उम्मीद है. अदालत ने कहा है कि इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के चार बड़े आरोपियों को देशभर की अदालतों में अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए पेश किया जाए. इनमें संगठन का सह-संस्थापक यासिन भटकल भी शामिल है.

इन आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि मुकदमों में देरी हो रही है, लेकिन यह भी जरूरी है कि सुरक्षा और संसाधनों पर अनावश्यक दबाव न पड़े. जस्टिस संजीव नरूला ने कहा जब तक किसी अदालत को उनकी व्यक्तिगत मौजूदगी खास वजह से जरूरी न लगे, तब तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही पेशी कराई जाए.

आखिर क्यों उठी ये मांग ?

आतंकी असदुल्लाह अख्तर, जिया-उर-रहमान, तहसीन अख्तर और यासिन भटकल इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. उनके वकीलों ने कोर्ट में कहा कि बार-बार सुनवाई टल रही है, क्योंकि अभियुक्तों को अदालत लाया नहीं जा रहा. इससे न सिर्फ उनका केस, बल्कि सह-आरोपियों के केस भी अटक रहे हैं.

एनआईए की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में बताया गया कि ये सभी आरोपी हाई-रिस्क कैदी हैं. इनकी सुरक्षा में भारी खर्च होता है और कई एजेंसियों को लगाना पड़ता है. ऐसे में वीडियो लिंक ही सबसे व्यावहारिक तरीका है. अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं की मुकदमे में देरी को लेकर चिंताएं वाजिब हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और संसाधनों का अनावश्यक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

तेलंगाना हाई कोर्ट में झटका

इन चारों आरोपियों ने खुद को दिल्ली की तिहाड़ जेल से हैदराबाद की जेल में स्थानांतरित करने की मांग भी की थी, क्योंकि तेलंगाना हाई कोर्ट में उनकी मौत की सजा के खिलाफ अपील लंबित थी. हालांकि 8 अप्रैल 2025 को तेलंगाना हाई कोर्ट ने 2013 के दिलसुखनगर धमाकों में उनकी मौत की सजा बरकरार रखते हुए उनकी अपील खारिज कर दी जिससे उनकी सजा बरकरार रही.

दिल्ली HC कोर्ट का साफ निर्देश

अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सभी ज़रूरी व्यवस्थाएं करें और अभियोजन पक्ष यह सुनिश्चित करें कि किसी सुनवाई में अभियुक्तों की अनुपस्थिति के कारण कार्यवाही बाधित न हो.

एनआईए के एफआईआर में गम्भीर आरोप 

एनआईए ने 2012 में दर्ज एफआईआर में इन चारों समेत अन्य आईएम सदस्यों पर देश के प्रमुख शहरों में बम धमाकों की साजिश रचने और पाकिस्तान स्थित सहयोगियों से मदद लेने का आरोप लगाया था. यासिन भटकल और असदुल्लाह अख्तर को 29 अगस्त 2013 को, जबकि तहसीन अख्तर और रहमान को 5 मई 2014 को गिरफ्तार किया गया था. इन सब पर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का गंभीर आरोप है.

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