
यूपी बोर्ड की परीक्षा में गाजियाबाद जेल के कैदी भी हुए पास, जानें कितने हुए फेल
UP Board Result 2025: कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी दीवार राह में रुकावट नहीं बन सकती. गाजियाबाद जिला कारागार में बंद कैदियों ने इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है. इस वर्ष उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षा में जेल में बंद 25 कैदियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 23 ने सफलता हासिल की है.
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इन 25 कैदियों में 15 ने हाई स्कूल (10वीं) की परीक्षा दी थी, जबकि 10 कैदियों ने इंटरमीडिएट (12वीं) की परीक्षा में भाग लिया. परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे, क्योंकि 15 में से 13 कैदी हाई स्कूल की परीक्षा में सफल हुए, जबकि 10 में से 10 ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की.
शिक्षा के लिए जेल प्रशासन विशेष योगदान
यह सफलता सिर्फ कैदियों की मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि जेल प्रशासन की ओर से उन्हें दी गई पढ़ाई की सुविधाओं का भी अहम योगदान रहा. सीताराम शर्मा ने बताया कि जेल में बाकायदा कक्षाएं चलाई गईं, जहां योग्य शिक्षक नियुक्त किए गए. इन शिक्षकों ने कैदियों को नियमित रूप से पढ़ाया और उन्हें परीक्षा की तैयारी कराई. इसके अलावा जेल परिसर में पुस्तकालय की व्यवस्था भी की गई, ताकि कैदी खाली समय में स्वाध्याय कर सकें.
कैदियों की इस उपलब्धि पर जेल प्रशासन भी गर्व महसूस कर रहा है. अधीक्षक शर्मा ने बताया हमारा प्रयास रहा है कि कैदी अपनी सजा के दौरान न केवल आत्ममंथन करें, बल्कि एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं. शिक्षा इसी दिशा में एक मजबूत आधार है. परीक्षा में सफल होने वाले कैदियों ने साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही अवसर और मार्गदर्शन मिले तो वे भी समाज की मुख्यधारा में लौट सकते हैं.
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम
कैदियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरणादायक कहानियां, जीवन कौशल से जुड़ी कार्यशालाएं और योगाभ्यास जैसे कार्यक्रमों से भी जोड़ा गया. इन प्रयासों से उनमें आत्मविश्वास बढ़ा और वे परीक्षा की चुनौती को आत्मविश्वास से पार कर सके.
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि अब इन कैदियों के लिए आगे की शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों पर भी काम कर रहा है, ताकि वे अपनी सजा पूरी होने के बाद समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें.
गाजियाबाद जिला कारागार में हुई यह पहल न केवल एक मिसाल है, बल्कि यह बताती है कि जेल सुधार की दिशा में सकारात्मक प्रयास किए जाएं तो अपराधियों को पुनर्वासित किया जा सकता है. शिक्षा, आत्मनिर्भरता की दिशा में पहला कदम है, और इस सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उम्मीद की किरण जेल की चारदीवारी के भीतर भी जल सकती है.
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